नानी के घर जाएंगे
नानी के घर जाएंगे
गर्मी की छुट्टी में हम फिरनानी के घर जाएंगे
घर ऑगन में दौड़-दौड़ के
हल्ला खूब मचाएंगे
मामा बंद किये मुह रहते
मामी भी चुप रहती हैं
नानी के आगे नाना की
सचमुच कुछ ना चलती है
छोटे-बड़े बनेंगे डिब्बे
छुक-छुक ट्रेन चलाएंगे
बच्चों के खातिर तो नानी
रहतीं सदा मुलायम हैं
जो भी वादा करती हरदम
रहती उसमें कायम हैं
नानी से पैसे लेकर के
चाट-बताशा खाएंगे
बाग बगीचे लदे फलों से
हमको पास बुलाते हैं
अमिया,इमली,जामुन,टपका
खाते नहीं अघाते हैं
धमा-चौकडी मचा ताल में
छप-छप खूब नहाएंगे
थककर चूर-चूर जब होते
नानी पैर दबाती हैं
कथा कहानी परियों वाली
हमको रात सुनाती हैं
पता नहीं हम कब सो जाते
सुबह-सुबह मुस्काएंगे
गर्मी की छुट्टी में हम फिर
नानी के घर जाएंगे
घर ऑगन में दौड़-दौड़ के
हल्ला खूब मचाएंगे
*
~जयराम जय
'पर्णिका',बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ प्र)
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