हास्य
जीवन मेरे तू हंस ले बोल ले ,इस जीवन में ही क्या रखा है ?
आए यहां पे क्या चीज चखने ,
आकर यहां क्या चीज चखा है ?
दया उपकार संकल्प ले आया ,
निष्ठा शिष्टता का लेकर सहारा ।
आदर स्नेह की तू वर्षा कर दे ,
पूरा जगत नजर आएगा प्यारा ।।
आए धरा पर तुम हंसने हंसाने ,
तेरे जीवन पे ही कोई हंस गया ।
आए तो तुम फंसे को निकालने ,
उल्टे आकर तुम भी फंस गया ।।
जन जन को तुम हंसाना सीखो ,
सब खुल हंसेंगे तू अंदर हंसेगा ।
मिलेगा आशीष विश्व से तुमको ,
भविष्य में तुम कभी न फंसेगा ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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