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योग मानव को पूर्ण मानव बनाने का एक सशक्त माध्यम है: सुधीर मधुकर

योग मानव को पूर्ण मानव बनाने का एक सशक्त माध्यम है: सुधीर मधुकर

दिव्य रश्मि संवाददाता जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खबर।

यूथ होस्टल्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, बिहार राज्य शाखा एवं वाईएचएआई पाटलिपुत्र यूनिट तथा प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय ,एम्स रोड, फुलवारी शरीफ, पटना के संयुक्त प्रयास से, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन एसटी एंड एससी रेलवे यूनियन कार्यालय, खगौल में किया गया है। कार्यक्रम का उदघाटन यूथ हॉस्टल्स एसोसिएशन, बिहार प्रदेश के उपाध्यक्ष सुधीर मधुकर, पाटलीपुत्र यूनिट के डॉ॰ सुशील कुमार, डॉ. संजेश कुमार गुंजन, रामजी सिंह, राजेश कुमार, डॉ. नम्रता आनंद, संजीव कुमार, भरत पोद्दार, अशोक नागवंशी एवं प्रजापिता ब्रह्माकुमारी के बहन मीरा, बशिष्ठ कुमार, बिरेन्द्र कुमार, कालिका साह, राजेन्द्र आदि ने संयुक्त रूप से मानव जीवन के सब से उपयोगी पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए पेड़ में जल समर्पित कर किया गया। इसमें खास कर रेलगाड़ियों को चलाने वाले लोको पायलट, जिस पर हजारों रेल यात्रियों को अपने मंजिल तक सुरक्षित पहुंचाने की ज़िम्मेदारी रहती है, उसे तनाव दूर रहने, मन और मस्तिष्क में को शांत रखने के लिए विशेष रूप से योग सिखाया गया। 

इस मौके पर योग में महत्वपूर्ण योगदान करने वालों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में श्रवण पोद्दार, मदन पोद्दार, रंजीत प्रसाद सिन्हा, राजकुमार, शशि भूषण उजाला, अनीता देवी, ममता मंजुली, रूपम कुमार, किशलय, अंकित कुमार आदि ने मत्वपूर्ण योगदान किया है।

अपने सम्बोधन में वाईएचएआई के सुधीर मधुकर ने कहा कि इस वर्ष योग दिवस की थीम ‘मानवता के लिए योगा’ है। योग मानव को पूर्ण मानव बनाने का एक सशक्त माध्यम है।  मानवता के लिए योगा विषय दर्शाता है कि कोरोना महामारी के दौरान योगा ने लोगों के कष्टों को कम करने और कोरोना के बाद भू-राजनीतिक परिदृश्य में मानवता की सेवा की है। डॉ.सुशील कुमार एवं डॉ.गुंजन ने कहा कि योग मनुष्य को पवित्र, निर्मल और स्वस्थ बनाता है। कोरोना संक्रमण के दौर में योग रामवाण औषधि की तरह है।

बहन मीरा ने कहा कि योग जीवन जीने की कला है। रामजी सिंह एवं राजेश कुमार ने कहा कि योग न केवल हमारे दिमाग, मस्‍तिष्‍क को ही ताकत पहुंचाता है बल्कि हमारी आत्‍मा को भी शुद्ध करता है। डॉ.नम्रता ने कहा योग से न केवल व्यक्ति का तनाव दूर होता है बल्कि मन और मस्तिष्क को भी शांति मिलती है।

योग गुरु विश्व रूपम ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही योग विद्या का स्रोत रहा है। यहां के परम तपस्वी महात्मा,मनीषियों ने इस विद्या का प्रकाश, मानव कल्याण के लिए ही किया। रामायण और महाभारत में योग के अंग-यम-नियम-प्राणायाम आदि का उल्लेख है।

शिविर में योग गुरु विश्व रूपम ने प्रार्थना से योग की शुरूआत की।

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