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बारिश

बारिश

ऋचा श्रावणी
घूमर घूमर बदरा आयो
उमर उमर ना बरसायो
एक ताक मे मेघा छायो
दुसरे ताक में करक धूप आयो
ना गरजे ये काली बदरिया
ना चमके ये बरखा बिजुरिया
प्यासा मन सबको तरसाए
जननी (धरती) भी ललचाए
बिन नीर मरे पशु पक्षी
सूख रही हैं यह धरती
कहा चले गए ओ पयोधार
किसान के खेत सूने परे हैं
अब तो अंबर पर छाओ
जल्द आओ तोयधर
धरा पर बरसाओ
हे अंबुद, हे अंबुधर
हे नीरद , हे बलाधर
नयन तरसे ,मन तड़पे
झामा जम क्यों नहीं बरसते
निकट तो आते ही तुम धराधर
पर आशीष नहीं देते वारिधर
अषाढ़ आया,सावन भी आएगा
परंतु तुम नहीं आ रहे हो जलधर
कादम्बिनी क्यों रुष्ठ हो
घनमाला, मेघमाला मेघावली
इठलाती मचलती मतवाली
कल कल आती सारंग
जगजीवन प्रफुल्लित हो उठे
उठे सबके हृदय में उमंग
जलद, प्रजन्य नीरधर
अब्र, अभ्र घटा जब आए
धर, घन, वारिद, नीरद
घनश्याम भी जीमुत हो जाए
आनंदमय हो नाच नचाए
हरियाली जब खेतों में छाए
अन्नदाता भी हर्षाए
पयोद, पयोदि बदली
बलाहक जब बरसाए
🙏 ऋचा श्रावणी 🙏
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