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तुम्हे शर्म नही आती

तुम्हे शर्म नही आती

प्रेम के जाल में क्यों फंस जाती हो
अपने संस्कारो को क्यों भूल जाती हो

तुम्हे शर्म नही आती

जब छुप छुप के फोन में बतियाती हो
वीडियो कॉल पर ही तन दिखाती हो

तुम्हे शर्म नही आती

स्कूल कालेज से बंक कर मिलने जाती हो
कोचिंग के बहाने सैर सपाटे जाती हो

तुम्हे शर्म नही आती

मोबाइल पर ऑल डिलीट दबाती हो
हिस्ट्री आल क्लियर कर देती हो


तुम्हे शर्म नही आती

माता-पिता के 20 वर्ष का विश्वास तोड़ जाती हो
एक दिन अनजाने के लिए उन्हें छोड़ जाती हो


तुम्हे शर्म नही आती

३६ टुकड़ो में कटती हो
चाकुओं से गोदी जाती हो
आन बान शान तोड़।कर
मरने के लिए ब्याह रचाती हो


तुम्हें शर्म नही आती

मंदिर की घण्टियाँ आरती सन्ध्या रामधुन मन्त्र श्लोक
सब हो तो रहे थे घर मे
तुम मोबाइल में घुसी प्रपंच रचाती हो


तुम्हे शर्म नही आती

जब कहती हो आपने धर्म नही सिखाया या

जीने का सही तरीका नही सिखाया


तुम्हे शर्म नही आती

अनामिका लेखिका एक शिक्षिका और सम्पादिका हैं |
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