लेखक
दर्द जहां का लिख सकता हूँ, शब्दों में,अर्थ दर्द का लिख सकता हूँ , शब्दों में।
खुद का दर्द सुनाऊँ किसको, सभी दुखी,
हमको दर्द रहित सब समझें, शब्दों में।
मेरे आँसू मेरी आहें, सबको झूठी लगती,
मेरी झूठी सच्ची बातें, सबको सच्ची लगती।
दिल चीर कर दर्द दिखाना, जब जब चाहा,
दर्द भरी मेरी आहें भी, सबको नौटंकी लगती।
लेखक बनना भी इस जग में, आसान कहाँ है,
अपने हिस्से का सच लिखना, आसान कहाँ है?
झूठ फरेब मक्कारी से भरी हुई इस दुनिया में,
सच को सच सच लिखना, आसान कहाँ है?
डॉक्टर अनन्त कीर्ति वर्द्धन
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