उड़ीसा रेल दुर्घटना
हादसा या साज़िश, यह जाँचना होगा,
जाँच कर दोषियों को, पहचानना होगा।
यूँ ही तो नहीं चुनाव से पहले घटना होती,
उलझे हुए धागों से, शिरा तलाशना होगा।
मानवीय गलती कहकर, नज़रंदाज़ न करें,
तुष्टिकरण के लिये, जाँच पर वज्रपात न करें।
कैसे बिगड़ा तालमेल, जो तीन ट्रेनें टकरायी,
संवेदनाएँ व्यथित, मानवता से कुठाराघात न करे।
कैसे हुई चूक, यह जानना होगा,
दोषी राम रहीम मैथ्यू, जानना होगा।
कौन साज़िश के पीछे, खुलासा हो,
साज़िशों के तार कहाँ, जानना होगा?
क़ानून का परचम बुलंद हो, कुछ कीजिये,
साज़िशें हों बेनक़ाब, अब तो कुछ कीजिए।
कब तलक भाई चारे का राग सुनाया जायेगा,
भाई- चारा न बन पाये, अब तो कुछ कीजिए।
डॉ अनन्त कीर्ति वर्द्धन
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