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ग़ाँव ---एक दर्पण

ग़ाँव ---एक दर्पण 

गाँव 
यानि गरीबी 
फटेहाल जिन्दगी 
और 
कुछ गन्दगी। 

गाँव 
यानि सन्तुष्टि 
मानवता- निश्छलता 
प्रकृति से नजदीकी 
छल रहित जिन्दगी। 

गाँव 
यानि परम्पराओं का निर्वाह 
ईश्वर में आस्था 
शिक्षा का अभाव 
संस्कारों का जमाव। 

गाँव 
यानी सूखा खेत 
नंगा पेट 
एक जून की रोटी 
अन्न का अभाव। 

गाँव 
यानि रूखी रोटी 
हंसता बचपन 
साझे सुख-दुःख, साझा जीवन 
नैतिकता को अर्पित तन मन। 

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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