बालासोर की ट्रेन दुर्घटना
कुदरत ने कैसा बरसाया कहर ,
मौत का बड़ा सा आया लहर ।
मौत का काटा हो जैसे फरमान ,
छिना कई परिजनों के ही पहर ।।
चले थे परदेश रुपये कमाने ,
अपना अपनों के भूख मिटाने ।
संकट की घड़ी ये ऐसी आई ,
धरा से चले गए छोड़ जमाने ।।
गए परिजन बहुत ही साथ में ,
बहुत परिजन आज बिलख रहे ।
हाय रे पेट कैसी तेरी ये अग्नि ,
अपना पराया आज परख रहे ।।
ट्रेन दुर्घटना कैसी तेरी कहानी ,
रहेगा याद तू इतिहास बनकर ।
तीन सौ लोगों को तूने खाया ,
मौत रूप जीवन सौत तनकर ।।
बालासोर का ये ट्रेन दुर्घटना ,
तीन ट्रेनों का एक साथ टक्कर ।
3 जून 2023 सदा याद रहेगा ,
मोती रूप कुदरत का चक्कर ।।
तीन सौ मौतें वह नौ सौ घायल ,
कुदरत का कैसा घूमा था डायल ।
शनि की घूमीं थी तिरछी नजरें ,
तीन सौ जन हुए मौत के कायल।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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