प्यासी चिड़िया
देखो प्यासी आई चिड़िया ,देखो उदासी आई चिड़िया ।
मारे प्यास व्याकुल होकर ,
चीं चीं करती आई चिड़िया ।।
नल पर देखो चोंच उठाए ,
ईश से प्रार्थना करे चिड़िया ।
कहीं से कोई आ न जाए ,
मानव से बहुत डरे चिड़िया ।।
कहीं से कोई नल हिला दे ,
कहीं से कोई जल मिला दे ।
ईश्वर तू भी तो दया कर दे ,
चीं चीं कर सुनाती चिड़िया ।।
चीं चीं स्वर सुन लो बन्धु ,
छत पर पानी रख दे भैया ।
पानी पीकर आशीष दूंगी ,
चीं चीं स्वर में गाती चिड़िया ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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