समाज राष्ट्र की अस्मिता के लिए प्रतिबद्ध एक सात्विक युगपुरुष डॉक्टर के. के. नारायण,जिन्हे हम पहचान न पाए:-डॉक्टर विवेकानंद मिश्र
दशकों से सरस्वती की साधना में अहर्निश निरत रहने वाले प्रोफेसर डॉक्टर के के नारायण का काश ! हमारे राजनीति के रहनुमाओं ने उचित मूल्यांकन किया होता तो समाज, राष्ट्र के प्रखर चिंतक और संस्कृत, अंग्रेजी, हिंदी, अध्यात्म आदि विभिन्न विषयों के ये अधिकारी विद्वान समाज और विश्व को एक नई दिशा दे पाते। आजादी के बाद राष्ट्र की सारी शक्ति राजनीति और राजनीतिज्ञों में केंद्रित हो गई, जिसकी सर्वोच्च सत्ता और साम्राज्य से इनकार नहीं किया जा सकता। इन्होंने अपनी विद्वता पर भरोसा कर अपने संकल्पित कार्यों में तल्लीन होने के कारण स्वाभिमान की रक्षा करते हुए चाटुकारिता को रत्ती भर भी प्रश्रय नहीं दिया, नतीजा इन्होंने घोर श्रम से बिना पृष्ठपेशन के अपनी विद्वत्ता के बल पर अपनी राष्ट्रीय पहचान बनायी और राष्ट्रीय स्तर पर बुद्धिजीवियों, विद्वानों की श्रेणी में एक नाम इनका भी जुड़ा। इनका कार्य-स्थल मुख्य रूप से इनकी जन्मभूमि बिहार की धरती मगध में गयाजी रहा। साधारण ब्राम्हण परिवार में जन्म हुआ। यहाँ उल्लेखनीय है कि आजादी के बाद बिहार की सत्ता की बागडोर वर्चस्ववादी जातीय नेताओं के हाथ में रहा जहाँ जाति का प्रश्रय और प्राथमिकता रही, विद्वता और गुण की नही और यह सिलसिला आज भी जारी है। स्वभाविक है कि योग्यता के रहते हुए भी ये राजनीतिक छत्रछाया से वंचित रहे ।विश्वविद्यालय में बड़े पदों की या संवैधानिक पदों की योग्यता रखते हुए भी इन्हें आज तक राज्य सरकार ने सम्मानजनक पदों को सुशोभित करने का मौका नहीं दिया। शिक्षा जगत या राजकीय सेवा से दूर रज्ञने के कारण राज्य एवं राष्ट्र उनका समुचित उपयोग समाज के व्यापक हित और कल्याण में नहीं किया जा सका। काश! समाज के बहुमूल्य रत्न एवं गौरव को हम आज भी पहचान पाते।
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