पर्वत होने का मतलब
संवेदनाएं जब मर जाती हैंजीवन पहाड़ बन जाता है,
हर पल, पल पल,जीवन का
शिला सा भारी हो जाता है।
अहिल्या क्यों शिला बनी थी
आज समझ मे आता है,
परित्याग किया जब पति ने
पत्थर बनना ही भाता है।
संवेदना के दो बोल भी
जब नहीं कहीं मिले,
एकान्त का एक एक पल
शिला सा भारी हो जाता है।
परित्यक्ता अहिल्या से जब
राम ने आ संवाद किया,
संवेदना पूर्ण बातों से
उलझन को भी दूर किया।
पिघल गयी पाषाण प्रतिमा
आँसू से सारा पाप धुला,
मुक्त हुयी तब भू लोक से
देवलोक प्रस्थान किया।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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