चलो कुछ नया करें
आओ मिलें मिलाया करें ,व्यर्थ समय न गंवाया करें ,
व्यर्थ अश्रु न बहाया करें ,
गीत खुशियों के गाया करें ।
निज उद्गार हम बयां करें ,
नजरों में कुछ तो हया करें ,
दीन दुखियों पर दया करें ,
आओ चलो कुछ नया करें ।
ज्ञानियों की टोली आया करें ,
नित्य ज्ञान निज बहाया करें ,
ज्ञान गंगा नहा नहवाया करें ,
निज कर्म नित्य निभाया करें ।
झूठी कसमें नहीं खाया करें ,
जीवों को धूप से छाया करें ,
जन जन में कर्म से भाया करें ,
यश कीर्ति विश्व में पाया करें ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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