Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

प्रकृति बचेगी तो मानव बचेगा,

प्रकृति बचेगी तो मानव बचेगा,
नही तो धरा पर तांडव मचेगा।
जल और वायु होंगे जो दूषित,
मृत्यु से पहले नित मानव मरेगा।

फल फूल वृक्ष जो धरा पर न होंगे,
तितली भौंरे फिर धरा पर न होंगे।
न दिखेंगे परिंदे, न पशु पक्षी वन में,
तब इन्द्रधनुषी रंग धरा पर न होंगे।

बस बंजर ही बंजर, चहूं ओर होगा,
मुश्किल में जीवन, मानव का होगा।
शीतल हवा, न कहीं जल मिलेगा,
सूरज का धरा पर, साम्राज्य होगा।

आओ मिलकर धरा को बचायें, 
वृक्षों से धरा का आँचल सजायें।
विकास के लिए कुछ वृक्ष काटें,
एक के बदले पचास रोप आयें।

अ कीर्ति वर्द्धन

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ