पर्यावरण
आज पर्यावरण दिवस की आप समस्त माताओं बहनों एवं बंधुओं को सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं ।
दो शब्दों का मेल है होता ,
पर्य आवरण कहलाता है ।
प्रदूषण को ढक देता जो ,
वही पर्यावरण कहलाता है ।।
वाह्य प्रदूषण बाद में होता ,
पहले है मानसिक प्रदूषण ।
कोई प्रदूषण कैसे मिटेगा ,
हमारे अंदर बैठा खरदूषण ।।
मन का प्रदूषण दूर हटाओ ,
तब संभले पर्यावरण प्रदूषण ।
मन संभलेगा तो वृक्ष लगेंगे ,
मन को देख भगे खरदूषण ।।
पर्य को मिला वृक्ष आवरण ,
हमें प्राप्त शुद्ध स्वच्छ वायु ।
हट रहे आवरण बचे हैं पर्य ,
कैसे होंगे हम स्वस्थ दीर्घायु ।।
वृक्ष लगाएं तो आवरण मिले ,
शुद्ध स्वच्छ होगा पर्यावरण ।
वृक्षकर्तन पर रोक लगाना ,
मन में अपने हम करें वरण ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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