नशा से छुटकारा कैसे पाएं
आओ मन में उत्साह जगाएं ,कुछ सीखें औ कुछ सिखाएं ।
शपथ लेते हुए आगे बढ़ें हम ,
नशा से छुटकारा कैसे पाएं ।।
नशा होता है नाश का कारण ,
नशा नश ढीला कर देता है ।
अपना तन नहीं होता वश में ,
नशा अपने वश कर लेता है ।।
नशा होता जीवन का निशा ,
जीवन के निशां मिटा देता है ।
नाले में मजे के खर्राटे लेता ,
नशा तो नाश का ही क्रेता है ।।
कोई बैठा है नाश के विक्रेता ,
कोई स्वयं नाश का क्रेता है ।
नाले में ऐसे सोता वह जैसे ,
कलियुग नहीं यह तो त्रेता है ।।
मन को ऐसे हम दृढ़ बना लें ,
आओ आज ये कसमें खाएं ।
नशा से हम छुटकारा पा लें ,
नशा ये जीवन से दूर भगाएं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार ।
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