पैसा या प्यार
दो में से क्या चाहिए तुम्हें ,पैसा चाहिए या प्यार चाहिए ।
सूरज चाहिए या चांद चाहिए ,
पैसा या प्यार तुम्हें क्या चाहिए ।।
स्वीकार चाहिए या इंकार चाहिए ,
या जीने का एक आधार चाहिए ।
खेत चाहिए या बधार चाहिए ,
मित्र बनाने हेतु व्यवहार चाहिए ।।
साईकिल चाहिए या कार चाहिए ,
चापाकल या स्नानागार चाहिए ।
या गरीबी में ही पलकर तुम्हें ,
जीवन का सच्चा ये सार चाहिए।।
घर चाहिए या तुम्हें द्वार चाहिए ,
या खुशहाल सा परिवार चाहिए ।
शृंगार चाहिए या व्यापार चाहिए ,
मिलाजुला सुखद संसार चाहिए।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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