मित्रता दिवस
मित्रता दिवस की आप समस्त माताओं बहनों एवं बंधुओं को सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं ।भर लो मस्तिष्क में तुम इत्र ,
तन मन को तुम इत्रता कर ले ।
त्याग दो मन से सारे द्वेष तुम ,
पवित्र मन से तू मित्रता कर लें ।।
क्या है जीवन में भरा ये तेरे
जिसपर तू गुमान करता है ?
क्या होकर आया है अमर तू ,
जिसपर तू अभिमान करता है ?
मातपिता गुरु होते हैं क्रमशः ,
चौथी श्रेणी में ही होते हैं मित्र ।
आड़े वक्तों आता है काम वह ,
निश्छल पावन होता है पवित्र ।।
मित्रों की पहले पहचान कर ले ,
फिर पूर्ण करो निज अरमान ।
मिल जाय मित्र सद्गुणी तो ,
बढ़ जाता सीधे जीवन का मान ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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