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सावन

सावन

चतुर्मास का पहला महीना ,
बरसात का है दूसरा सावन ।
हरी भरी होती दसों दिशाएं ,
भक्ति मार्ग का प्रथम पावन ।।
हरी भरी धरती भी हमारी ,
हरी भरी दिखतीं हर नारी ।
हरी चूड़ियां और हरा साड़ी ,
पुष्पित सुगंधित हर क्यारी ।।
सावन माह बहुत ही पावन ,
जीवन का अतिसुखद पल ।
भोले नाम का कांवर लेकर ,
शिव को चढ़ाते हर्षित जल ।।
सुखद होती है कांवर यात्रा ,
भोले शिवशंभू जयकारों से ।
हर हर बम बम स्वर गुंजित ,
शिवशंकर के जलधारों से ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा ,
छपरा ( सारण )
बिहार ।

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