हौसलों की उड़ान
मत समझो निज को तुच्छ ,
आओ जीवन में कुछ कर लो ।
बाधाएं संकट आएंगी सदा ही ,
स्व हौसलों की उड़ान भर लो ।।
हौसला होता बहुत बड़ी ताकत ,
हौसले ही सफलता दिलाते हैं ।
हौसले बिन हम पस्त हो जाते ,
पुनः घूम हम वापस ही आते हैं ।।
हौसलों की उड़ान जब है होती ,
तब हमें अंतरीक्ष पहुंचाता है ।
उन तारों को भी पार कर जाते ,
तब उर कमल खिल जाता है ।।
मन माफिक ही तारे तोड़ लाते ,
जब हम उसे अपना बनाते हैं ।
खिल जाती तब मन की बगिया ,
हौसलों की उड़ान मार्ग बताते हैं।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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