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गरीब कौन---

गरीब कौन---

बडी बडी बहस चल रही हैं गरीब के साथ अन्याय को लेकर।
जानना चाहता हूँ कि लोग जो सडकों पर निकले यह गरीब हैं अथवा बिहार बंगाल उडीसा जैसे राज्यों मे भी दूरस्थ क्षेत्र मे रहने वाले लोग जिनके पास झोपडी भी नही है, वह गरीब हैं। प्रश्न यह भी कि वह गरीब क्यों? रोजगार नही मिलता अथवा करना नही चाहते? मेरी जिज्ञासा मात्र इतनी है कि गरीब की परिभाषा क्या है और उसका आधार क्या है?
देश मे लगभग 24 करोड बी पी एल परिवार हैं यानि 120 करोड नागरिक। क्या यह सम्भव है कि भारत के 130-135 करोड आबादी मे इतने लोग बी पी एल मे हों। बी पी एल यानि गरीबी रेखा से नीचे तब गरीब कौन और कितने?
गरीबी भी तुलनात्मक है। टाटा बिरला की तुलना मे हम सब गरीब ही हैं। मगर सामाजिक व आर्थिक गरीबी अलग है। कुछ लोग गरीब हैं उनकी पत्नी या बच्चे मजदूरी करते हैं मगर वह खुद काम नही करते अपितु परिवार की मेहनत की कमाई भी दारू मे उडा देते हैं। तब क्या किया जाये उनका सुधार अथवा दारू की दुकान उनके नाम? उस मेहनतकश पत्नी और बच्चों की क्या खता? सामाजिक चेतना का विषय है।
समाज का एक वर्ग वह भी है जिनका पूरा परिवार छोटे बड़े काम कर रहा है और परिवार की मासिक आय चालीस पचास हज़ार तक है, परन्तु सरकारी दस्तावेज़ों में वह गरीब है, किसी भी लाईन का मिस्त्री जो प्रतिदिन पन्द्रह सौ दो हज़ार कमाता है, वह भी गरीब है।
सरकारी मकान, मुफ़्त या रियायती राशन, मुफ़्त शिक्षा चिकित्सा, घर में टीवी फ्रिज बाईक कार, बच्चे अच्छे बड़े पब्लिक स्कूल में परन्तु सिस्टम में वह भी गरीब, आख़िर क्यों?
शायद विगत वर्ष की बात है उत्तर प्रदेश में यह समाचार आया कि जिन लोगों के पक्के मकान हैं, बाईक है, उन्हें मुफ़्त राशन या अन्य सुविधा नहीं मिलेगी और जाँच कर पता किया जायेगा तथा नियमानुसार देय अनाज का बाज़ार शुल्क वसूला जाएगा, तो सुना था कि घोषणा के बाद कई लाख राशन कार्ड निलम्बित हो गये थे। यानि फ़र्ज़ी गरीब भागने शुरू।

अ कीर्ति वर्द्धन
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