निज स्वार्थ में उद्धव तुमने, हिन्दुत्व को ठुकराया था,
शिव सेना की बली चढ़ाकर, सी एम का पद पाया था।
कांग्रेस को बालाजी ने, साँप आस्तीन का बतलाया,
साँपों को निज गोद बिठाकर, तुमने दूध पिलाया था।
उल्लू बैठे जिस वृक्ष पर, अक्सर वृक्ष सूख कर झरते,
जानबूझ कर उल्लू पाले, हरा भरा वृक्ष सुखाया था।
संजय राउत जैसा नेता, पेंग्विन सा आदित्य बेटा,
धृतराष्ट्र बन बैठे तुम तो, राज ठाकरे हटवाया था।
पालघर में सन्तों की हत्या, क्योंकर तुम ख़ामोश रहे,
सुशांत राजपूत की हत्या, तुम्हारे मौन ने मरवाया था।
कंगना का बंगला तुड़वाया, नवनीत को धमकी दी,
हनुमान चालीसा पढ़ने पर, जेलों में भिजवाया था।
तुमने सोचा रावण जैसा, बाहुबली तुम बन जाओगे,
जिसको चाहे मरवा दोगे, हवा जेल की खिलवाओगे?
कुल में कोई विभीषण होता, जो सत्य की राह चले,
शरणागत राम की आया, अहंकार को जलवाया था।
अ कीर्ति वर्द्धन
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