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मोहब्बत बिना...

मोहब्बत बिना...

कदम मेरे न रुक जाए
धड़कन बंद न हो जाए।
सफर जिंदगी का मेरा
कही अंत न हो जाए।
इसलिए मेरी जान अब
तो मिलने आ जाओं।
और धड़कते दिल में
तुम अब बस जाओं।।


बहुत खोकर ही हमने
तुम्हें जो अब पाया है।
जमाने की ठोकरो ने
बहुत कुछ सीखाया है।
उदास होकर भी लोगों
खुशी से झूमते हम है।
और अपनी दुनियां में
सदा ही मस्त रहते है।।


मोहब्बत करने वालो का
बहुत ही दिल धड़कता है।
खुशी के गीत भी सदा
दिलों में गुंजते रहते है।
इसलिए तो ये मोहब्बत
सभी को नहीं मिलती।
पर जिसे मिलती है ये
दुनियां उनकी अलग होती है।।


जय जिनेंद्रसंजय जैन "बीना"
मुंबई
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