नेता जी
साठ साल के बाद जवानी आती है,पहले थे नादान बुद्धिमानी आती है।
जोड़ तोड़ का गणित सीख लेते हैं,
सत्ता हो ये विपक्ष निभानी आती है।
संसद हो या बाहर विपक्ष को गाली देंगे,
बिगड़ा कोई काम चाय पर हल कर लेंगे।
सांसद निधि का खेल भ्रष्टाचार का अड्डा,
मिले हुए सब मिल कर खेला कर लेंगे।
नेताओं की निष्ठा बड़ी सरल है,
नीचे से ऊपर बहती बड़ी तरल है।
लाभ हानि से निष्ठा संचालित होती,
अमृत मान पी लेते उपलब्ध गरल है।
अ कीर्ति वर्द्धन
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