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जन्मदिन को जन्मनक्षत्र, जन्मतिथि आदि का पूजन

जन्मदिन को जन्मनक्षत्र, जन्मतिथि आदि का पूजन

हमारे यहाँ जन्मदिन को जन्मनक्षत्र, जन्मराशि, जन्मतिथि आदि की पूजा का विधान है।परन्तु; अंग्रेजों की गुलामी का आजतक इतना प्रभाव है कि हम भले श्रीरामनवमी श्रीकृष्णाष्टमी मना लें, पर अपना जन्मोत्सव तो अंग्रेजी तारीख को ही मनाएँगे।चूँकि राम-कृष्ण अंग्रेजों से बहुत पहले हो गए थे और उनके साथ हमारी धर्मिक भावना जुड़ी है, इस कारण हम लाचार हो ऐसा करते हैं।नहीं तो रामनवमी भी अंग्रजीयत की ही चाल चलती।
यह भी कारण है कि हम अपने जन्मदिन में धार्मिकता से प्रायः दुराव ही रखते हैं।इसमेंअंग्रेजी संस्कृति को सहज और सर्वोत्तम मानते हैं, वहीं से आयातित भी जानते हैं; इसलिए भी थोड़ी भारतीयता की छौंक लगाने को मन्दिर चले जाते हैं, सत्यनारायण-पूजा भी कर लेते हैं और बड़ों के पाँव भी छू लेते हैं।
वस्तुतः हमें चाहिए कि जिस महीने जन्म हुआ है, उस महीने की जन्मतिथि को जन्मोत्सव मनाएँ। यदि जन्मतिथि के साथ जन्मनक्षत्र का योग है तो और उत्तम है।इससे प्रायः जन्मराशि भी मिल जाएगी।इन सबका योग उत्तमोत्तम होगा।
मतलब यह कि हमें हिन्दी तिथि पर ही जन्मदिन मनाना चाहिए।हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

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