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गुरुपूर्णिमा के अवसर पर हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना का कार्य करने का संकल्‍प करें ! - श्री. विश्‍वनाथ कुलकर्णी

पटना सहित देशभर में 67 स्‍थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्‍सव’ भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया !

गुरुपूर्णिमा के अवसर पर हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना का कार्य करने का संकल्‍प करें ! - श्री. विश्‍वनाथ कुलकर्णी

पटना - जिस प्रकार रात्रि के पश्‍चात होनेवाला सूर्योदय कोई नहीं रोक सकता, उसी प्रकार कालमहिमा के अनुसार होनेवाली धर्माधिष्‍ठित हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना भी कोई नहीं रोक सकता । हिन्‍दू राष्‍ट्र आएगा, यह पत्‍थर की लकीर है । अनेक संतों ने भी उस संबंध में बताया है । काल भी उसी दिशा में जा रहा है । इसलिए इस काल में हमने यदि हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना के लिए कार्य किया तो, काल के अनुसार धर्मकार्य होकर उस माध्‍यम से हमारी साधना होगी । इसलिए इस वर्ष की गुरुपूर्णिमा के अवसर पर हिन्‍दू राष्‍ट्र के स्‍थापना का कार्य करने का निश्‍चय करे, ऐसा आवाहन हिन्‍दू जनजागृति समिति के श्री. विश्‍वनाथ कुलकर्णी ने इस अवसर पर किया । हिन्‍दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित गुरुपूर्णिमा महोत्‍सव में वे बोल रहे थे । यहां के अनीसाबाद स्‍थित श्री चित्रगुप्‍त समाज बिहार में यह भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया । महोत्‍सव के प्रारंभ में श्री व्‍यासपूजा और प.पू. भक्‍तराज महाराजजी की प्रतिमा का पूजन किया गया । देशभर में 67 स्‍थानों पर हिन्‍दू जनजागृति समिति द्वारा ‘गुरुपूर्णिमा महोत्‍सव’ भावपूर्ण वातावरण में मनाए गए ।
प्रखर हिन्‍दुत्‍वनिष्‍ठ श्री. आशुतोष चतुर्वेदी ने इस अवसर पर कहा कि संविधान में लिखा पंथनिरपेक्ष शब्‍द सिर्फ धोखा है । वहां हिन्‍दू राष्ट्र होना चाहिए क्‍योंकि केवल हमारे धर्म में ही ‘सर्वे भवन्‍तु सुखिन:’ ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ ऐसी मान्‍यताएं हैं । इसकी आवश्‍यकता आज पूरे विश्‍व को है । सभी को अपने धर्म की शिक्षा मिले, इसके लिए हिन्‍दू जनजागृति समिति द्वारा साप्‍ताहिक धर्मशिक्षा वर्ग लिए जाते हैं, उसमें सम्‍मिलित होने का आवाहन श्री. चतुर्वेदी ने किया ।

4 भाषाओं में ‘ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्‍सव’ : इस वर्ष हिन्‍दू जनजागृति समिति द्वारा हिन्‍दी, गुजराती, बंगाली एवं उडिया आदि 4 भाषाओं में ऑनलाइन के माध्‍यम से गुरुपूर्णिमा महोत्‍सव संपन्‍न हुआ । इस माध्‍यम से देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने ‘गुरुपूर्णिमा महोत्‍सव’ का लाभ उठाया ।


सनातन संस्‍था के ‘‘सच्‍चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा की गुरुसेवा एवं उनका शिष्‍यत्‍व’’, ‘‘परब्रह्म डॉ. आठवलेजीकी समष्टि साधना एवं आध्‍यात्‍मिक अधिकार’’ एवं ‘‘परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजीकी साधकोंद्वारा बताई गई विशेषताएं’’ इन हिन्‍दी भाषा के ग्रंथों का लोकार्पण मान्‍यवरों द्वारा किया गया !
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