अध्यात्म का सार समाया बातों में,
बंद मुट्ठी का सार बताया बातों में।क्या लाया था क्या लेकर जायेगा,
कर्मों का विस्तार बताया बातों में।
नहीं जानता अगले पल में क्या होगा,
नहीं जानता मरने पर भी क्या होगा?
दौड़ रहा माया के पीछे युगों युगों से,
नहीं जानता तेरे पीछे माया का क्या होगा?
सगे सम्बन्धी जिनकी खातिर माया जोड़ी,
माया की खातिर सच्चाई से आंखें मोड़ी।
सम्मुख ही सब खूब लड़ेंगे इसकी खातिर,
कर देंगे मोहताज तुझे सब कौड़ी कौड़ी।
मुट्ठी बन्द किए आया था प्राणी जग में,
खाली हाथ चला जायेगा प्राणी मग में।
कर सकता संचय तो सत्कर्मों का कर लें,
काम वही आयेंगे तेरे जीवन की डग में।
अ कीर्ति वर्द्धन
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