Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

महक , खुशबू , सुगंध

महक , खुशबू , सुगंध पुष्पों में मानव का ,

गुलाब होता है मित्र ।
गुलाब के पुष्प से ,
बनता सुगंधित इत्र ।।
दिखने में सुंदर न्यारा ,
अंदर से भरा सुगंध ।
जस बाहर तस भीतर ,
कहीं नहीं है दुर्गंध ।।
गुणों से होता परिपूर्ण ,
अंदर बाहर एक समान ।
बाहर से जितना प्यारा ,
अंदर से वही सम्मान ।।
जो गुणी गुणों से भरा ,
दुश्मन हैं उसके हजार ।
गुणी मरने से डरे नहीं ,
सबके बीच दिखे बाजार ।।
गुलाब को रखे सुरक्षित ,
उल्टे लटके ही कांटे ।
दोनों रहते संग ही संग ,
सुखदुख मिल बांटे ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ