दिल में जलन सी होती है
दिल में जलन सी होती है
रहता हूँ मैं जब बेरोजगार
कैसे मनाऊँ मैं ईद, दशहरा
कैसे रखूं मैं जन सरोकार।
दिल में जलन...I
नहीं सुहाता सावन मुझको
लगती जब पेट में आग
नहीं जलता जब घरों में चुल्हा
कैसे खेल़ूं मैं होली,फाग।
दिल में जलन...I
कैसे करूँ राजनीति की बातें
कोई नहीं मेरे मन को भाते
लूट लिया कोई मेरे सपने
कैसे करूँ मैं सबसे प्यार।
दिल में जलन...I
कोई छीना मेरा रोजी रोजगार
कोई लूट लिया मेरा घर-द्वार
कभी विचार आता है मन में।
लगा दूँ मैं जमाने में आग।
दिल में जलन...I
------0---- अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना(बिहार)।
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