समाज की चिंता करने वाली संवेदनशील कवयित्री हैं तलत परवीन:-डा अनिल सुलभ
- साहित्य सम्मेलन में काव्य-संग्रह 'अधूरे ख़्वाब' का हुआ लोकार्पण|
- जयंती पर याद किए गए कवि जगत नारायण प्रसाद 'जगतबंधु', आयोजित हुई कवि-गोष्ठी ।
पटना, 23जुलाई। उर्दू और हिन्दी की विदुषी कवयित्री तलत परवीन की शायरी में उनके दिल का ही नहीं सारे जमाने का दर्द दिखाई देता है। वो समाज की चिंता करने वाली एक संवेदनशील कवयित्री हैं, जिनमे शब्दों से कविता की सुंदर काया निर्मित करने का कौशल भी है उसके ऋंगार का भी। ग़ज़ल और गीत पढ़ने का उनका अंदाज़ भी खूबसूरत और प्रभावशाली होता है।
यह बातें रविवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में स्मृति-शेष साहित्यकार जगत नारायण प्रसाद 'जगतबंधु' की जयंती पर, मशहूर शायरा तलत परवीन के काव्य-संग्रह 'अधूरे ख़्वाब' का लोकार्पण कारते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। जगतबंधु जी को श्रद्धापूर्वक स्मरण कर्ते हुए, उन्होंने कहा कि 'गीता' को अपने जीवन में अक्षरशः उतारने वाले और उसे अपने साहित्य में ढालनेवाले अनुकरणीय व्यक्तित्व थे वे। सबका हित चाहने वाले वे सच्चे अर्थों में 'साहित्य' की संज्ञा थे। 90 वर्ष की आयु में भी 70से कम वय के लगते थे। उनका जीवन-चरित, मूल्यवान-जीवन का अनुकरणीय आदर्श है।
समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि जगतबंधु जी जैसे साहित्यकार समाज का मार्ग-दर्शन करते हैं। उन्होंने लोकार्पित पुस्तक की कवयित्री को शुभकामनाएँ दी और कहा कि उर्दू के गीत देवनागिरी लिपि में छपते हैं तो दोनों ही भाषाओं का विकास होता है।
समारोह के मुख्य अतिथि और मशहूर शायर कासिम खुर्शीद ने कहा कि तलत परवीन एक ऐसी शायरा हैं जो खामोशी से और पूरे समर्पण से साहित्य की ख़िदमत कर रही हैं। ये समंदर की मौजों की तरह खुले मन से समाज के हर विषय पर अपनी बात रखती हैं।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, जगतबंधु जी के जमाता और भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी रमण कुमार, प्रो विशिष्ट अतिथि और इलमी मजलिस के सचिव परवेज़ आलम, प्रो जावेद हयात, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, प्रो सुशील कुमार झा आदि ने भी अपने विचार रखे तथा कवयित्री को अपनी शुभकामनाएँ दी।
इस अवसर पर आयोजित कवि-गोष्ठी का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, सुहेल फ़ारूक़ी, मो नसीम अख़्तर, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, शुभचंद्र सिंहा, इंदु उपाध्याय, मोईन गिरीडीहवी, शालिनी पाण्डेय, मो शादाब, इरफ़ान अहमद बेलहारवी, कुमार पंकजेश, शारका वारसी, सुषमा कुमारी, धर्मवीर बिहारी लाल, सदानंद प्रसाद,डा कुंदन लोहानी, ज़ीनत शेख़, देवेंद्र कुमार आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी मधुर काव्य-रचनाओं से सम्मेलन में रस की फुहार छोड़ी। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया। तलत परवीन के पति डा एकबाल अहमद वारसी, विश्व रंजन, प्रवीर कुमार पंकज,जनार्दन पाटिल, बाँके बिहारी साव, दिलीप गायकवाड़, वंदना प्रसाद, सोबिया फ़ातिमा, पवन सिंह, सच्चिदानन्द शर्मा, इरफ़ान अहमद, सुनीति श्रीवास्तव, संतोष कुमार, सरिया फ़ातिमा आदि प्रबुद्धजन समारोह में उपस्थित थे।
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