दोस्त और दुश्मन
दुश्मनों की वफ़ा पर भरोसा है मुझको,दुश्मनी निभाना बखूबी जानते है वो।
दोस्तों का क्या भरोसा कब बदल जाएँ,
मुश्किल में राह बदलना जानते हैं वो।
नहीं मार सका कोई दुश्मन आज तक,
दोस्तों के इंतज़ार में जागता हूँ रात भर।
भरोसा था आएंगे मुश्किल में साथ मेरे,
आया नहीं अभी तक निगाहें हैं राह पर।
दुश्मनों ने वफ़ा अपनी खूब निभायी,
उन्होंने ताउम्र मुझसे दुश्मनी निभायी।
दोस्त जाने कितने आये और चले गए,
दोस्ती किसी ने ना दुश्मनों सी निभायी।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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