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विश्व जनसंख्या दिवस पर भारत के परिप्रेक्ष्य मे।

विश्व जनसंख्या दिवस पर भारत के परिप्रेक्ष्य मे।

हो रहा विस्फोट, जनसंख्या का देश में,
दोहरी हैं नीतियाँ, दोहरे मापदंड देश में।
कब तलक चार शादी, बीस बच्चों को सहें,
आतंकी बना रहे, संख्या बढाकर देश में।
लक्ष्य बनाया, जनसंख्या बढा काबिज रहें,
रोहिंग्या बांग्लादेशी भी, पालते कुछ देश में।
विश्व भी चिन्तित दिखे, जनसंख्या विस्फोट से,
सत्ता के भूखे चिंतित नही, भेडियों से देश में।
दिखता नही योगदान इनका, आबादी बढाकर,
मुफ्त रोटी खाकर फैलाते, अराजकता देश में।
हैं बहुत साधन यहाँ, संशाधन भी हैं बहुत,
जनसंख्या के कारण, कम पडने लगे देश में।
एक राष्ट्र एक कानून, संविधान की यह भावना,
हों जनसंख्या कानून नियम, सबके लिये देश में।

अ कीर्तिवर्धन
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