आया सावन , लगता मनभावन
आया सावन , लगता मनभावन ।
हरी हरियाली , बड़ी ही सुहावन ।।
मन था तरसा , पानी भी बरसा ।
तन मन से खूब , कृषक है हरसा ।।
चला गया मक्का , रोपाया धान ।
बढ़ी हरियाली , खुश है किसान ।।
सावन की महिमा , हुई है अपार ।
शंकर कृपा भी , बरसी बेशुमार ।।
कांवर ले कांवरिया , चला है डगरिया ।
जाना है बोल बम , बाबा के नगरिया ।।
भोले की कृपा है , भोला दर्शन ।
भोला हेतु चले , चक्र सुदर्शन ।।
सावन सुन्दर , लुभाने आया ।
भोले दर्शन को , हमें है जगाया ।।
आओ भक्तों , देख लो घुम के ।
सुन्दर सुनहरा , आया सावन झूमके ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार ।हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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