पूरे भारत में लागू हो शराबबंदी- प्रेम कुमार

पूरे भारत में लागू हो शराबबंदी- प्रेम कुमार

पटना- प्रेमयूथ फाउंडेशन के संस्थापक गांधीवादी प्रेम जी ने युवा संसद को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे भारत में शराबबंदी लागू होनी चाहिए। उन्होंने कहा- दारू है दारुण दुःख देता।
पहले सेहत फिर दौलत छीन लेता।।
मदिरापान राक्षसों की पसंद रहा है। त्रेता काल में राक्षस मदिरापान का सेवन करते थे। द्वापर युग में भी कौरवों द्वारा मदिरापान किए जाने की कई जगह चर्चा है। शराब का सेवन कमोबेश पूरी दुनिया में होती है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। आजादी के बाद महात्मा गांधी जी ने पूरे देश शराबबंदी लागू करने का सुझाव दिया था लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसे अनसुना कर दिया था। हरियाणा में वंशीलाल की सरकार ने शराबबंदी लागू की थी लेकिन एक साल के अंदर ही उनकी सरकार गिर गई और वंशीलाल राजनीति से आउट हो गये। गुजरात में भी शराबबंदी लागू है लेकिन कुछ शर्तों पर वहां शराब के सेवन की छूट भी दी गई है। नब्बे के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने प्रखंड स्तर पर शराब के ठेके खुलवाये। पहले जहां लोग लुक छिप कर शराब का सेवन करते थे उसमें इजाफा हुआ और शराब के ठेकों पर भीड़ लगने लगी। तत्कालीन मद्यनिषेध मंत्री शिवानन्द तिवारी से प्रेमयूथ फाउंडेशन का एक प्रतिनिधिमंडल मिला था तब तिवारी जी ने जो कहा वह शब्द आज भी याद है। उन्होंने साफगोई से स्वीकार किया था कि दारू के राजस्व से सरकार के पांच मंत्रालय का खर्चा चलता है इसे कदापि बंद नहीं किया जा सकता। इस मुद्दे पर प्रतिनिधि मंडल से काफी नोक झोंक भी हुई थी। फाउंडेशन के सचिव विश्वम्भर मिश्रा ने उन्हें काफी समझाने का प्रयास किया कि शराब के टैक्स से कई गुणा अधिक शराब जनित रोगों पर पैसा खर्च होता है साथ ही सड़क दुर्घटनाओं एवं घरेलू हिंसा का भी यह मुख्य कारण है लेकिन अफसोस तिवारी जी पर इन बातों का कोई असर नहीं हुआ। शराब के ठेके से साइकिल वाला फार्च्यूनर की सवारी करने लगा और शराब का धंधा अरबपति बनने का आसान तरीका बन गया। ठेके की आड़ में नकली शराब का धंधा जोरों से फलने-फूलने लगा और इसमें मंत्री, संतरी और पत्रकारों का गठजोड़ बन गया। सूर्य अस्त और लोग मस्त होने लगे। महिलाएं और शरीफ लोग शाम होते ही घरों में दुबकने को मजबूर हो गए। सरकार बदल गई और लालू के छोटे भाई इंजीनियर नीतीश कुमार ने बिहार की कमान संभाली। खजाना खाली था इसलिए पैसा बनाने का दारू से अच्छा उपाय कुछ नहीं था। इन्होंने नई आबकारी नीति बनाई और पंचायत स्तर पर शराब के ठेके और दुकान खुलवा दिए। इससे सरकार को चार से पांच हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त होने लगा। चाणक्य ने कहा है कि लम्बा समय तक राज करना है तो जनता को मूर्ख और पथभ्रष्ट बना दो। नीतीश जी ने इसका अनुसरण किया और गांव-गांव में शराबियों की फौज तैयार हो गई। इस दौरान आर्थिक तंगी, घरेलू हिंसा, मारपीट, जघन्य अपराधों में काफी बढ़ोत्तरी हुई। नीतीश जी ने अंतरात्मा की आवाज सुनी और जीविका दीदियों के आग्रह पर बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दिया। नीतीश जी को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं जिद्दी और उसूल के पक्के हैं, अपनी जिद के लिए कुछ भी कर सकते हैं। प्रदेश में पूरी सख्ती से शराबबंदी लागू हुई और इसके सकारत्मक नतीजे भी सामने आने लगे। मजाल नहीं कि शराब पीकर कहीं कोई हंगामा कर दे। लाखों लोग जेलों में बंद हैं, हजारों वाहन जब्त किये गये, कई भवनों को सील कर नीलामी की प्रक्रिया की जा रही है। युवाओं और किशोरों के बीच शराब के सेवन के दुष्प्रभावों को लेकर जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है लेकिन अफसोस इसका एक स्याह पहलू यह भी है कि जिसे शराब रोकने की जिम्मेदारी दी गई वही इसकी तस्करी और बिक्री में शामिल हो गया। एसपी से लेकर थानेदारों तक की संलिप्तता समय-समय पर उजागर होती रही है। थानों में चूहा शराब पीने लगा। हालात ये हैं कि शराब के खेल में सफेदपोश शामिल हो गये। दूसरे प्रदेशों से ट्रक से शराब आने लगी और शराब तस्करों की पैठ इतनी मजबूत हो गई कि मंत्री से लेकर संतरी तक दुम हिलाते नजर आने लगे। लोगों का भरोसा पुलिस से कम होने लगा और लोग सूचना लीक होने के भय से पुलिस को शराब से सम्बंधित खुफिया जानकारी देना बंद कर दिया। इसी बीच डूबते को तिनका का सहारा मिला और बिहार पुलिस की कमान गुप्तेश्वर पांडेय ने सम्भाली। वे देश के पहले और अंतिम डीजीपी हुए जिन्होंने जनता से सीधा संवाद स्थापित किया, पूरे बिहार में शराबबंदी को लेकर अलख जगाया, नशा मुक्त बिहार को लेकर हजारों सभाएं कीं। बिना किसी सरकारी खर्चे के सभी सभाओं में उमड़ती भीड़ सूबे के मुखिया को रास नहीं आई। इनकी बढ़ती लोकप्रियता और शराब तस्करों के खिलाफ कठोर कार्रवाई से सरकार की चूलें हिल गईं। इसके बाद डीजीपी के मनोबल को गिराने का खेल शुरू हुआ और इन्हें छल से समय से पूर्व ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई। आज शराब की उपलब्धता भूत की तरह है दिखतीकहीं नहीं पर मिलती हर जगह है। शराब तस्कर किशोरों को अपना कैरियर बना रहा है। उनके हाथों में किताब की जगह शराब पहुंचा दी गई। हर जगह होम डिलीवरी हो रही है। अभी हाल ही में रेलवे का गार्ड, सेना का जवान, एक एसएसपी की गाड़ी से शराब बरामद हुई है। पुलिस डाल-डाल तो शराब तस्कर पात-पात। एम्बुलेंस में शराब, पार्सल वैन में शराब, गैस सिलेंडर में शराब, ट्रक के ट्यूब में शराब। निवर्तमान फतुहा थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने टमाटर में छिपाई हुई शराब बरामद की है। मनोज बताते है कि प्रति दिन शराब की भट्ठियों को ध्वस्त किया जाता है लेकिन शराब तस्करों का हौसला इतना बुलन्द है कि वे पुलिस पर भी गोली चलाने से नहीं चूकते। मनोज कुमार सिंह फतुहा थाना क्षेत्र के नामी गिरामी उद्योगपति, सफेदपोश, रसूखदार, पत्रकार को जेल की हवा खिला चुके हैं। ऐसे ही ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ थानाध्यक्ष के बलबूते शराबबंदी का असर दिखता है। शराबबंदी को सफल बनाने के लिए कुछ कदम उठाना अनिवार्य है, जैसे-
1 शराबबंदी एक साथ पूरे देश मे लागू हो
2 जनप्रतिनिधियों पर जवाबदेही तय हो
3 शराब के दुष्प्रभावों के बारे में जन चेतना पैदा की जाए
4 शराबबंदी के लिए अलग से पुलिसकर्मियों की बहाली एवं संसाधन मुहैया हो
5 शराब तस्करों की संपत्ति जब्त हो तथा स्पीडी ट्रायल से सजा हो
6 शराबियों पर भारी जुर्माना का प्रावधान हो
7 जिस वार्ड या पंचायत में शराब की बिक्री या निर्माण हो उसके वार्ड सदस्य, पंच, मुखिया और सरपंच की सदस्यता रद्द हो
8 विदेशी नागरिकों को एयरपोर्ट पर ही शराबबंदी की जानकारी देना अनिवार्य हो
9 गांव स्तर पर निगरानी समिति का गठन हो
10 हर थाना पर शराब की सूचना बॉक्स हो जिसकी चाबी एसपी के पास हो
11 नशा मुक्ति अभियान में लगे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो

शराब व्यक्ति की बुद्धि नष्ट कर देती है और सेहत दौलत छीन लेती है। जो भी राजनीतिक दल शराबबंदी का विरोध करता हैं वह आवाम का शत्रु है। इसे पूरे देश में लागू कराने को लेकर प्रेमयूथ फाउंडेशन तथा विधिविमर्श जन आंदोलन चलायेगा। शराबबंदी का असर अगले दस वर्षों के बाद दिखेगा। किसी भी अभियान का असर उसकी अगली पीढ़ी पर ही दिखता है। नीतीश जी शराबबंदी के मुद्दे पर पूरा बिहार आपके साथ है। कुछ सत्तालोलुप नेताओं के बयान से विचलित होने की कोई जरूरत नहीं है। शराबबंदी को और कठोरता से लागू करें। सूबे में जहरीली शराब से मौत का सिलसिला लगातार जारी है इसे रोकना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। शराबबंदी को सफल बनाने में जनभागीदारी अति महत्वपूर्ण है। अवैध शराब के निर्माण को रोकने को लेकर पुलिस अब ड्रोन का भी सहारा ले रही है। बिहार में पंद्रह सौ व्यक्ति पर एक पुलिस है इसलिए सिर्फ पुलिस के भरोसे शराबबंदी सफल नही हो सकती। उसमें भी आधे से अधिक बूढ़े और बीमारी की हालत में हैं। हमें पुलिस और सरकार को कोसने से बेहतर होगा कि अपने स्तर से इसे रोकने और शराबबंदी को सफल बनाने में योगदान दें। लोगों में चेतना पैदा करें, शराब के दुष्परिणामों से अवगत कराएं। महात्मा गांधी, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, पैगम्बर साहब ने भी शराब को हराम कहा है। देश के नौजवानों नशा को ना कहो और नशा के सौदागरों को खदेड़ डालो।
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