बच्चे हैं देश का भविष्य

बच्चे हैं देश का भविष्य

बच्चे हैं देश का भविष्य ,
बच्चे ही देश का धरोहर ।
बच्चे हैं शांतचित्त सरल ,
नहीं किसी से भी ओहर ।।
बच्चों में हैं गांधी नेहरू ,
भगत सुभाष टोपे पटेल ।
बच्चों में ही प्रेमचंद बसे ,
सेवा संस्कृति देते उड़ेल ।।
बच्चों में ही श्रीराम बसे ,
लक्ष्मण भरत औ शत्रुघ्न ।
हितकर हेतु हितकर होंगे ,
दुश्मन हेतु वे बनेंगे विघ्न ।।
बच्चे हमारे ये उर्जा भरेंगे ,
बच्चे ही चांदनी बरसाएंगे ।
नहीं हुआ जो इस धरा पे ,
बच्चे सारे कर दिखाएंगे ।।
भारतीय बच्चे कंत होंगे ,
भारत भूमि पर संत होंगे ।
एक ही यहां के पंत होंगे ,
भू मालिक भगवंत होंगे ।।
न दुराचारी न भ्रष्टाचारी ,
न ही सतवंत बेअंत होंगे ।
हुए जो भी गद्दार देशद्रोही ,
सबके तब ही अंत होंगे ।।


पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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