मिट्टी पर बारिश की बूंदें
मिट्टी पर बारिश की बूंदें ,ज्यों ही नभ से आती हैं ।
कृषक मयूर विभोर होते ,
तनमन खुश कर जाती हैं ।।
मां धरा भी होतीं क्रोधित ,
जब अनावृष्टि दिखाती हैं ।
बारिश की बूंदें क्रोधित हो ,
अतिवृष्टि तब कराती हैं ।।
अनावृष्टि अति ही घातक ,
फसल समूल खा जाती है ।
अतिवृष्टि भी है ये घातक ,
भविष्य देकर तो जाती है ।।
अनावृष्टि से धरा क्रोधित ,
क्रोध में लाल हो जाती है ।
मिट्टी पर बारिश की बूंदें ये ,
मिट्टी मुलायम ये बनाती है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com