मुफ्त की रोटी खाने वाले, परजीवी कहलाते हैं,
जब तक टुकड़ा मिलता, दिन को रात बताते हैं।
बातों की ये रोटी खाते, निज स्वार्थ दुम हिलाते,
रंग बदलने में माहिर, गिरगिट को रंग दिखाते हैं।
जहरीली इनकी फितरत, आस्तीन में पलते हैं,
आस्तीन में पलने वाले, अक्सर देखा डस जाते हैं।
कितना इनका ध्यान करो, चाहे जितना मान करो,
जब भी इनको मौका मिलता, मालिक पर गुर्राते हैं।
अ कीर्ति वर्द्धन
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