आईसक्रीम
आओ बाबू आओ भईया ,ले लो का लो आईसक्रीम ।
खूब खेलो कूदो दौड़ो धूपो ,
हृष्ट पुष्ट बनो जैसे थे भीम ।।
आईसक्रीम ले लो खा लो ,
मिटा ले मन की तू प्यास ।
खाते इसे ताजगी मिलेगी ,
शीघ्र मिटेगा मन का ह्रास ।।
सुनो बच्चों के पापा मम्मी ,
मत करो बच्चों को उदास ।
बच्चे होते इसके मतवाले ,
इसका तुम करो एहसास ।।
एक पंथ दो काज ये होंगे ,
चार ले लो रुपए दो बीस ।
बच्चे तेरे मेरे ये खुश रहेंगे ,
तुझको ईश्वर देंगे आशीष ।।
आईसक्रीम खरीद का ले ,
मुझको मिले तेरा आशीष ।
गरीब को सहारा मिलेगा ,
तुझको ईश्वर देगा बख्शीश ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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