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बदल गये हैं रंग ढंग

बदल गये हैं रंग ढंग

बदल गये हैं रंग ढंग और बदल गये हालात हैं,
कोई नहीं किसी का बेटा, सब दूजे के बाप हैं।
अहंकार में डूबे सब, अकड़ अकड़ बातें करते,
अज्ञानी कपटी ही देखे, ज्ञानीयों के उस्ताद हैं।
पैसे की पूछ आजकल, धन काला या गोरा हो,
भ्रष्ट बेईमान नेतृत्व करते, सत्ता के सरताज हैं।
हरण हो रहा संस्कारों का, दम तोड़ती मर्यादा,
कुकर्मी ही मंच विराजें, महफ़िल में वो ख़ास हैं।

अ कीर्ति वर्द्धन
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