दादा की वैवाहिक वर्षगांठ
दीर्घायु रहें दादा दादी ,हम पर छाया बनी रहे ।
जीवन हो सहर्ष सुखी ,
बुढ़ापे में युवा तनी रहे ।।
बंटते रहें केक मिठाई ,
नहीं कभी तनातनी रहे ।
मां लक्ष्मी भी कृपा करें ,
सदा जेब में ये मनी रहे ।।
घर में सदा केक मिठाई ,
सदा ताजा गर्म छनी रहे ।
कूक केवल कोयल सा ,
प्रेम सदा मधुरस हनी रहे ।।
ईश से इस कर विश्वास ,
मन हृदय सदा ये धनी रहे ।
ईश से मेरी है शुभकामना ,
ईश कृपा सदा ही घनी रहे ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार ।
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