समर्थ नारी समर्थ भारत ने दो दिवसीय चतुर्थ मास पर बंगलोर में कार्यकर्म आयोजित किया |
बैंगलोर आर आर नगर की समर्थ नारी समर्थ भारत एवं टेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष सुमन पटवारी के अध्यक्षता (देख रेख )में हुआ। जिसमे समर्थ नारी समर्थ भारत की राष्ट्रीय सह संयोजिका बिहार , झारखंड वेस्ट बंगाल की प्रभारी माया श्रीवास्तव के साथ सैकड़ों महिलाएं उपस्थित होकर धार्मिक गुरु गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी महराज को चतुर्थ मास पर विचार सुनी।
महाराज ने कहा की विश्व में धार्मिक दृष्टिकोण से चतुर्थ मास का अत्यंत महत्व है। हर वर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस एकादशी को हरिशयनी एकादशी और पद्मनाभा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार, आषाढ़ एकादशी पर भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीनों के लिए योग निद्रा के लिए चले जाते हैं। चार महीनों की इस अवधि को चार्तुमास कहा जाता है और इस दौरान कोई भी शुभ व मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं।
समर्थ नारी समर्थ भारत की राष्ट्रीय सह संयोजिका बिहार झारखंड एवं वेस्ट बंगाल की प्रभारी माया श्रीवास्तव ने कहा समाज के हर तबकों , खास कर महिलाओं के लिए चतुर्थ मास का महत्व अधिक है। हम सबको अपने पौराणिक कथाओं के बारे में जानकारी रखनी चाहिए।श्रीमती श्रीवास्त ने कहा जप तप साधना एवं शुभ कामों के लिए चातुर्मास का समय बेहद अनुकूल रहता है ।पुराणों में कहा गया कि चातुर्मास में पृथिवी लोक की जिमेदारी भगवान शिव पर होती है।इसलिए माना जाता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु की पूजा उपासना करने से माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं वे भक्तों के ऊपर अपनी कृपा बनाए रखती हैं।चातुर्मास में महादेव शिव और सूर्यदेव की उपासना के लिए भी उत्तम माना गया है ।
अध्यक्षता कर रही सुमन पटवारी ने समाज में आज संस्कारो में आ रही गिरावट के लिए धार्मिक चेतना लाने पर बल दिया। आचार्य के उपदेश को हर महिलाओ को ग्रहण करने की जरुरत बताई।
इस अवसर पर समर्थ नारी समर्थ भारत की राष्ट्रीय सह संयोजिका माया श्रीवास्तव जी के द्वारा महिलाओ के बीच किए जा रहे कार्यो की प्रसंसा करते हुए शुभकामना दी गई।
इस मौके पर रुचिका जैन, स्वर्णलता जैन, रेणुका जैन, वीना जायसवाल, इंद्राणी प्रिया झुनझुनवाला, लतिका झूनझूनवाला, रीता धरीवाल, रश्मि अग्रवाल, सविता अग्रवाल, रानी मोदी आदि उपस्थित थीं।
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