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चंद्रयान-3 की सफलता पर औरंगाबाद के साहित्यकारों ने दी बधाई

चंद्रयान-3 की सफलता पर औरंगाबाद के साहित्यकारों ने दी बधाई

हमारे दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर
औरंगाबाद,(दिव्य रश्मि)।औरंगाबाद जिले की महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था समकालीन जवाबदेही परिवार एवं जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय वैज्ञानिकों के भागीरथी प्रयास के पश्चात चंद्रयान 3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक स्थापित होने के आलोक में इसरो परिवार को बधाई दिया है।
बधाई संदेश में सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह,समकालीन जवाब देही पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा,सम्मेलन के महामंत्री धनंजय जयपुरी,डॉ रामाधार सिंह,डॉ शिवपूजन सिंह, अलख देवसिंह,रिटायर्ड दरोगा मुरलीधर पांडेय, सिंहेश सिंह एवं मीडिया प्रभारी सुरेश विद्यार्थी सहित अन्य लोगों ने एक स्वर में कहा कि यह उपलब्धि ऐतिहासिक एवं युगांतरकारी है। ऐसा क्षण सदियों में कभी-कभी आता है। अंतरिक्ष अनुसंधान की परिकल्पना 1962 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। उस समय इसका नाम अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति था। बाद में 15 अगस्त 1969 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो नाम से जाना जाने लगा।इसके पूर्व 2 अप्रैल 1984 को राकेश शर्मा ने चांद पर प्रथम भारतीय के रुप में कदम रखा था। 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 चांद की सतह पर भेजा गया था। यह अंतरिक्ष अन्वेषण के क्रम में चांद पर पहली बार भेजा गया प्रथम मानव रहित भारतीय अंतरिक्ष यान था।उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए चंद्रयान-2 एवं चंद्रयान-3 की संकल्पना दोहराई गई और चंद्रयान-3 ने सफलता के परचम स्थापित किया।यह खुशी पूरे विश्व में भारतीयों के वैश्वीकरण के दौर में सर्वोच्चता को दर्शाता है। आज पूरे विश्व में भारत का डंका बज रहा है।
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