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चंद्रयान-3 की सफलता पर

चंद्रयान-3 की सफलता पर जयराम जय के पांच छंद

1
जहां कोई अभी तक पहुंच भी पाया नहीं,
उस चंद्रथल को किया पवित्र गंगा है।


विश्व गुरू रहा सदा सभी को पढ़ाया पाठ,
उसके समक्ष टिका कौन सा अड़ंगा है।


ताकते ही रह गए जहां के समस्त देश ,
किंतु देश भारत ने काम किया चंगा है।


'चंद्रयान-तीन' ने किया यह अनूठा काम
'विक्रम' ने फहराया चांद पे तिरंगा है।


2
चंद्रयान तीन के उतरते ही चांद पर,
भारत ने नव्य इतिहास रच डाला है।


इसरो की टीम को है साधुवाद बार-बार,
भारत का हर नागरिक पिए हाला है।


बहुत अचम्भित मायूस हैं अनेक देश,
टांग खींचने वालों का मुंह हुआ काला है।


चंद्रमा का वह ध्रुव जहां सिर्फ अंधकार,
'विक्रम' से होने वाला वहां पे उजाला है।


3
चांद की कहानियों के भ्रम सभी टूट गए,
झूठ बोलती थीं रोज़ याद आईं नानी है।


जल और जीवन को हमें खोजना है वहां
सफलता की नई-नई गढ़नी कहानी है।


पेड़ -पौधे कैसे उगे स्वच्छ वायुमण्डल,हो
दूर सांस लेने की जो वहां परेशानी है।


इतना जो कर लिया फिर तो है बल्ले-बल्ले,
वहां रहने के लिए जिंदगी दिवानी है।


4
चंद्रयान तीन ने जमाई जम के है धाक,
तोड़ डाले भ्रमजाल सारे अंधकार के।


चंद्रमा पे चरखा चलाते मिला कोई नहीं
अब पता चला बोल अम्मा के उधार के


ज्ञान व विज्ञान में रहा प्रसिद्ध भारत है,
रख दिया सारे भ्रम कपड़े उतार के।


जैसे दिन शुभ आया चांद के पटल पर,
सीघ्र दिन आने वाले हैं यहां बहार के।


5
चंद्रयान अभियान सफल हुआ है,अब
सूर्य और शुक्र भी हैं अपने निशाने पर।


कुछ दिन बाद फिर सूर्य पे लगेगा जोर,
भोर होती कैसे चढ़ जाता सिरहाने पर।


शुक्र की भी दूरी नापने में होंगे कामयाब,
व्यास कितना बताएं चुटकी बजाने पर।


एक दिन बना लेगें बड़ा सा गगनयान,
परेशानी होगी नहीं वहां आने-जाने पर।
*
~जयराम जय'पर्णिका',बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास, कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ प्र)
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