आजादी का क्रांतिकारी नेता
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस जी पुण्यतिथि की आप समस्त माताओं बहनों एवं बंधुओं को सपरिवार हार्दिक बधाई एवं बहुत बहुत शुभकामनाएं । नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के चरणों में समर्पित एक रचना का सादर प्रयास :
आजादी का क्रांतिकारी नेता ,
कर्तव्यनिष्ठ सुभाष चन्द्र बोस ।
तुम थे जैसे होता लोहा गरम ,
महात्मा गांधी नरम सम ओस ।।
लात का भूत बात से न माना ,
क्रांतिकारी बनने में क्या दोष ।
दुराचार देख खून खौलना था ,
स्वाभाविक था यह आना रोष ।।
नहीं होते जब क्रांतिकारी नेता ,
कैसे महात्मा गांधी बहुमूल्य ।
गर्म बिन नरम होता अमूल्य है ,
आज भारत गुलामों के तुल्य ।।
तेरे कारण ही गांधी हुए पूज्य ,
इसमें तेरा कहां कोई है दोष ।
तेरे कारण ही मिटा है गुलामी ,
बन गए नेता सुभाष चंद्र बोस ।।
आजादी हेतु बने शुभ आस ,
नहीं हुए कभी तुम तो उदास ।
भारत मां के सच्चे लाल तुम ,
मौत समक्ष स्वीकारा न दास ।।
कर रहा भारत तेरा एहसास ,
मां भारती को भी जगी प्यास ।
आजा फिर तुम इस धरा पर ,
भारत का फिर बुझाने त्रास ।।
कोटि नमन सादर ये तुम्हें है ,
श्रद्धांजलि अर्पित मैं करता हूं ।
स्वीकार करो हमारी ये रचना ,
तुम्हें आज समर्पित करता हूं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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आजादी का क्रांतिकारी नेता ,
कर्तव्यनिष्ठ सुभाष चन्द्र बोस ।
तुम थे जैसे होता लोहा गरम ,
महात्मा गांधी नरम सम ओस ।।
लात का भूत बात से न माना ,
क्रांतिकारी बनने में क्या दोष ।
दुराचार देख खून खौलना था ,
स्वाभाविक था यह आना रोष ।।
नहीं होते जब क्रांतिकारी नेता ,
कैसे महात्मा गांधी बहुमूल्य ।
गर्म बिन नरम होता अमूल्य है ,
आज भारत गुलामों के तुल्य ।।
तेरे कारण ही गांधी हुए पूज्य ,
इसमें तेरा कहां कोई है दोष ।
तेरे कारण ही मिटा है गुलामी ,
बन गए नेता सुभाष चंद्र बोस ।।
आजादी हेतु बने शुभ आस ,
नहीं हुए कभी तुम तो उदास ।
भारत मां के सच्चे लाल तुम ,
मौत समक्ष स्वीकारा न दास ।।
कर रहा भारत तेरा एहसास ,
मां भारती को भी जगी प्यास ।
आजा फिर तुम इस धरा पर ,
भारत का फिर बुझाने त्रास ।।
कोटि नमन सादर ये तुम्हें है ,
श्रद्धांजलि अर्पित मैं करता हूं ।
स्वीकार करो हमारी ये रचना ,
तुम्हें आज समर्पित करता हूं ।।
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छपरा ( सारण )बिहार ।
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