सनातन
एक को पत्थर लगेएक को भगवान।
किस को क्या दिखे
यह आस्था का मान।
आत्मा किस की भटकती
कौन किसको देखता
सनातन का सार जानो
सत्य को जो खोजता।
हैं सभी के धर्म जाति
और सबकी संस्कृति।
कौन किसको मानता
सबकी अपनी है थाती।
अपने अपने संस्कार हैं
अपनी है जीवन शैली।
अपना अपना रंग रूप
अपनी खान पान शैली।
बात सनातन की जब होती,
चिंतन सबसे पहले आता।
बिना तर्क और खोज बीन
कोई कार्य नहीं भाता।
क्या आत्मा, कौन ईश्वर
क्या कोई बतला पाया?
ऋषियों ने जब की साधना
सार जगत को सब भाया।
हो आस्था जब सनातन में
आत्मा का विश्वास करो।
अपने पुरखों की संतुष्टि को,
जग में कुछ उपकार करो।
कभी विचारें क्या होता है
शान्ति के अनुष्ठान में।
दान दक्षिणा सदविचार
गाय कौओं को भोजन में?
बस यही सनातन समझो,
सबका ताना बाना है।
जीवन में भी जीवन जीना
मरकर उपकार- बहाना है।
धर्म पक्ष है एक ओर
वैज्ञाणिकता भी इसमें भारी।
यज्ञ मंत्र का महत्व बहुत
विज्ञान ने सहमति धारी।
अ कीर्ति वर्द्धन
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