तुलसी जयंती पर सादर समर्पित:
जय प्रकाश कुँवर |
पत्नी प्रेम में पागल का पत्नी ने, जब ज्ञान चक्षु पटल खोला ।
तुलसी से संत तुलसीदास बन गया , बचपन का वह रामबोला ।।
माता पिता का प्यार न पाया , बचपन भिक्षा मांग बिताया ।
ब्याह हुआ तब अधिक प्रेम लख , पत्नी ने फटकार लगाया ।।
स्वामी नर हरिदास से दीक्षा पाकर , भक्ति का वो पथ अपनाये ।
भक्ति पथ पर चलते गुरु संग , रहने को आश्रम अयोध्या आये ।।
घुम घुम कर संत समागम , करना ही मन को भाया ।
तीव्र और कुशाग्र बुद्धि से , सब कुछ मन में रम पाया ।।
राम भक्ति में लीन हो गए , श्री हनुमानजी का मार्गदर्शन मिला ।
हर दम राम भजा करते अब , राम मंत्र का फूल खिला ।।
चित्रकूट में अस्सी घाट पर , श्री रामचरितमानस लिखना शुरू किया
इस महाकाव्य को लिखने में , श्री बजरंगबली का साथ मिला ।।
श्री बजरंगबली की कृपा से , श्री राम जी का भी दर्शन प्राप्त हुआ।
अब तो संत तुलसीदास जी का , जीवन पूर्ण रूप से सफल हुआ ।।
श्री रामचरितमानस सहित अन्य धार्मिक रचनाओं का लेखन कर ।
संत तुलसीदास जी सदा सदा के लिए , हो गये अमर ।।
काशी में रहते हुए , अपने ग्रंथ विनय पत्रिका का लेखन किया ।
श्री राम जी का दर्शन और समर्पण कर , जीवन को विराम दिया।।
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