एक दौर था सासू का, डंका बजता था घर भर में,
सासू का जब हुक्म हुआ, बहू नाचती घर भर में।है यह इतिहास पुराना, घर परम्परा से चलते थे,
जो सासू ने भोगा जीवन, वही परम्परा घर भर में।
सासू की सासू ने सिखलाया, सुबह सवेरे उठना है,
उठ कर सारे घर में झाड़ू, चौका बर्तन भी करना है।
चुल्हे का था दौर पुराना, चक्की से आटा पिसता था,
संयुक्त घरो का दौर वह था, कुयें से पानी भरना है।
बहू बनी जब सास, वह भी ऐसा ही सोचा करती थी,
सास का रुतबा बना रहे, नित उपाय सोचा करती थी।
कभी कभी तो हाथ उठाकर, अपना अधिकार जताती,
बहु अगर कुछ मिली हठीली, बेटे को बस में करती थी।
एक रोज़ सास ने समझाया, नहीं तुम्हारा मैका है,
सुबह जल्दी उठा करो, यह नहीं तुम्हारा मैका है।
बहु ने समझाया सास को, किस दौर में रहती हो,
हम तुम दोनों एक यहाँ, यह नहीं तुम्हारा मैका है।
पढ़ी लिखी हो गयी बेटियाँ, देर सवेरे उठती हैं,
देर रात तक घर में टीवी, मोबाईल पर लिखती हैं।
पति देव भी अब घर में, पत्नी के पक्ष खडे होते,
आँख दिखाई अगर सास ने, अलग घर में दिखती हैं।
नये दौर में बहन बेटियाँ, पढ़ लिख कर आगे बढ़ती,
जीवन पथ पर ज़िम्मेदारी, हर क्षेत्र में आगे बढ़ती।
घर बाहर परिवार जनों की, हर ज़रूरत का ध्यान रखे,
वहीं बेटियाँ बहुएँ बनकर, परिवार संग आगे बढ़ती।
बदल गयी हैं सास आजकल, बहुओं संग मिलकर रहती,
नहीं चली जो ताल मिलाकर, अलग गाँव-घर में रहती।
बहु जाये जब सुबह काम पर, घर को सास सँभाले,
बहु बच्चों संग वह व्यस्त रहे, जीवन में खुश रहती।
गीदड़ गिर गया झेरे मे, अब विश्राम यहीं है ,
हर हाल संग संग रहना, अब आराम यहीं है।
सिमट गये परिवार, एकल परिवारों का दौर,
सुख दुःख ख़ुशियों गम का, अब समाधान यहीं है।
अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com