सैनिक -----
सीमा पर खड़ा है, नींद अपनी गवाँकर,सुरक्षा में देश की, निज परिवार भुलाकर।
बल की है शान, बस कर्त्तव्य की बातें,
देखता है हर पल, बस शान्ति के सपने।
सैनिक को हम नमन करते हैं।
चट्टानों को काटकर, जो नहरें बनाता है,
बाढ़ और सूखे में,.सहायता हेतु आता है।
मृत्यु के मुख से भी, जीवन छीन लाता है,
सीमा पर प्रहरी, सुरक्षा बल कहलाता है।
सैनिक को हम नमन करते हैं।
धार्मिक उन्माद में, इंसान बनकर आता है,
असत्य पर सत्य की, विजय गाथा गाता है,
जाति -धर्म, छुआछूत के, सारे बंधन तोड़कर,
राष्ट्र धर्म जिसके लिए, सर्वोपरि बन जाता है।
सैनिक को हम नमन करते हैं।
दुश्मन के वार को, तार-तार करता है,
देश की सुरक्षा में, जीवन वार देता है,
माता को जिसकी, अपने लाल पर गर्व है,
भारत का जन-जन, जिसे प्यार करता है।
सैनिक को हम नमन करते हैं ।
राणा सा शौर्य जिसकी, शिराओं में दौड़ता है,
पाक के नापाक इरादे, बूटों तले रौंदता है,
हिमालय भी जिसकी, गौरव गाथा गाता है,
सम्मान में जिसके, राष्ट्र ध्वज झुक जाता है।
सैनिक को हम नमन करते हैं ।
सीमा के सैनिक का, आओ हम सम्मान करें,
सुरक्षा में परिवार की, हाथ सब तान दें,
बल प्रहरी की पत्नी को भी, सैनिक सा मान दें,
मात-पिता को सैनिक के, हम सब प्रणाम करें ।
सैनिक को हम सब हर पल नमन करें ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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