राखी का त्यौहार
रिश्तों का इससे बड़ा,और नहीं त्यौहार।।
एक-दूसरे के लिए ,
सब कुछ जाता हार ।।
कच्चे धागे से बंधा,
राखी का त्यौहार।
भ्रात-बहन के प्यार में,
होता कब व्यवहार।।
रक्षाबंधन आ गया ,
लेकर के उल्लास।
भ्रात बहन के हेतु यह,
होता है अति खास।।
अनुपम दिन इस ख़ास की,
करें प्रतीक्षा खूब।
बचपन में लड़ते रहे,
फिर भी लगी न ऊब।।
सुख समृद्धिआशीष संग,
बहना आती गेह।
रक्षा का संकल्प ले,
भाई करता नेह।।
*
~जयराम जय
पर्णिका,बी-11/1,कृष्ण विहार आवास विकास कल्याणपुर कानपुर 208017 (उ प्र)
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