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इल्जाम लगाता है

इल्जाम लगाता है (हिन्दी ग़ज़ल)

---: भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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बेरोजगार हूं कहां मुझे कोई काम लगाता है।
लगाता है तो बस मुझ पर इल्ज़ाम लगाता है।१।
बुरे हाथों से जो हो जाता है कभी कुछ अच्छा,
उस पर वो झटपट अपना हीं नाम लगाता है।२।
जहां कहीं दिखता है मुझसे कुछ उसे फायदा,
उस वक्त वो मुझ पर बड़ा इनाम लगाता है।३।
वैसे तो कभी भी वो मुझे अपना नहीं माना,
जिंदाबाद का नारा कब खुलेआम लगाता है।४।
अपनी ख्वाहिश में वो सबकुछ जला डाला,
कुचल औरों की अरमां को जाम लगाता है।५।
मन में है बस मुझे ही अल्लाह बरकत दे,
मुंह से हर वक्त रट राम-राम लगाता है।६।
उसके ज़र्रे-जर्रे से है ये मिश्र 'अणु' वाकिफ,
लूटने के वास्ते इश्क का पैगाम लगाता है।७।
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वलिदाद,अरवल (बिहार)८०४४०२.संपर्क --- ९१६२९१८२५२.
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